पाइथागोरस थ्योरम क्या है, सूत्र और उदाहरण

पाइथागोरस थ्योरम (Pythagorean Theorem) एक ज्यामिति तर्क है जो दो समकोण त्रिभुजों में आधारभूत रूप से एक समकोण (रेखांश) के विपरीत कोण को समझाने के लिए उपयोग किया जाता है। इसे पहली बार ग्रीक गणितज्ञ पाइथागोरस द्वारा खोजा गया था।

पाइथागोरस थ्योरम

यदि त्रिभुज का एक कोण 90 डिग्री है, तो पाइथागोरस थ्योरम के अनुसार, उस त्रिभुज के बाकी दो कोणों के वर्गों का योग उस समकोण के समकोण के विपरीत कोण के वर्ग के बराबर होता है। अर्थात्, यदि a, b और c त्रिभुज के तीनों कोणों के विपरीत बाहुत हों, तो पाइथागोरस थ्योरम के अनुसार निम्नलिखित होगा:

a^2 + b^2 = c^2

यह थ्योरम व्यावहारिकता के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है और इसे अनेक गणितीय और अभियांत्रिकीय उपयोगों के लिए आवश्यक माना जाता है, जैसे कि दूरी की गणना, त्रिकोणमिति, और रिक्त स्थान में दीवार या भूमि के निर्माण के लिए आवश्यक अनुपातों की गणना आदि।

पाइथागोरस प्रमेय का सूत्र

पाइथागोरस थ्योरम का सूत्र निम्नलिखित है:

a^2 + b^2 = c^2

यहां, a और b त्रिभुज के दोनों सीधे कोणों के बाह्य बाहुत होते हैं और c उन दोनों कोणों के बीच समकोण के विपरीत बाहुत को दर्शाता है। सूत्र का अर्थ है कि त्रिभुज के एक समकोण वाले कोण के बीच लम्बदी समकोण की तुलना में उस त्रिभुज के दो अन्य कोणों के वर्गों का योग समकोण के विपरीत कोण के वर्ग के बराबर होता है।

पाइथागोरस प्रमेय क्या बताता है?

पाइथागोरस प्रमेय उस त्रिभुज के बारे में बताता है जिसमें एक समकोण वाले कोण के बीच लम्बदी समकोण की तुलना में उस त्रिभुज के दो अन्य कोणों के वर्गों का योग समकोण के विपरीत कोण के वर्ग के बराबर होता है। इसका अर्थ है कि, जब त्रिभुज के एक कोण 90 डिग्री होता है, तब उस त्रिभुज के दो बाहु एवं हाइपोटेन्यूस (विपरीत कोण के समकोण बाहु) के वर्गों का योग हमेशा हाइपोटेन्यूस के वर्ग के बराबर होता है।

इस प्रमेय को अंग्रेजी में “Pythagorean Theorem” भी कहते हैं जो ग्रीक गणितज्ञ पाइथागोरस के नाम पर रखा गया है।

पाइथागोरस प्रमेय किस त्रिभुज से संबंधित है?

पाइथागोरस प्रमेय सीधे त्रिभुज (Right-Angled Triangle) से संबंधित है। त्रिभुज एक ऐसी आकृति होती है जिसमें एक कोण 90 डिग्री होता है। यदि त्रिभुज का एक कोण 90 डिग्री होता है, तब पाइथागोरस प्रमेय के अनुसार, उस त्रिभुज में दो बाहु और हाइपोटेन्यूस (विपरीत कोण के समकोण बाहु) के वर्गों का योग हमेशा हाइपोटेन्यूस के वर्ग के बराबर होता है।

त्रिभुज की दो बाहुओं को “पाई” और “बेस” कहा जाता है जबकि हाइपोटेन्यूस को “रैडियस” नाम से भी जाना जाता है।

पाइथागोरस त्रिक क्या है?

पाइथागोरस त्रिक या प्रमेय (Pythagorean Theorem) है, जिसके अनुसार, एक समकोण त्रिभुज में, वर्ग योग के लिए उसके दो छोटे बाहुओं के वर्गों का योग हमेशा उस त्रिभुज के बड़े बाहु (हाइपोटेन्यूस) के वर्ग के बराबर होता है।

यह त्रिक सीधे त्रिभुजों के लिए ही नहीं होता है, बल्कि यह समकोण त्रिभुज के लिए भी होता है, जिसमें एक कोण 90 डिग्री होता है।

पाइथागोरस त्रिक को इस प्रकार लिखा जाता है:
a² + b² = c²

जहाँ a और b त्रिभुज के छोटे बाहु होते हैं और c त्रिभुज का बड़ा बाहु यानि हाइपोटेन्यूस होता है।

पाइथागोरस प्रमेय के उदाहरण

पाइथागोरस थ्योरम के कई उदाहरण होते हैं, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:

उदाहरण 1: समकोण त्रिभुज ABC में, AB = 3, AC = 4 और BC = 5 हैं। तो, इस त्रिभुज का हाइपोटेन्यूस क्या होगा?

उत्तर: यहां, a = 3, b = 4 और c को ढूंढना है। इसके लिए, हम पाइथागोरस प्रमेय का उपयोग करते हैं:
c² = a² + b²
c² = 3² + 4²
c² = 9 + 16
c² = 25
c = 5

इसलिए, इस त्रिभुज का हाइपोटेन्यूस 5 होगा।

उदाहरण 2: एक रेलगाड़ी का सामान्य चौड़ाई 2.6 मीटर है और उसकी ऊँचाई 3.5 मीटर है। तो, उसकी असली चौड़ाई क्या होगी, जब वह सीधा खड़ी होती है?

उत्तर: इस समस्या को हल करने के लिए, हम पुनः पाइथागोरस प्रमेय का उपयोग करते हैं:
c² = a² + b²
c² = (2.6)² + (3.5)²
c² = 6.76 + 12.25
c² = 19.01
c = √19.01
c = 4.36

इसलिए, रेलगाड़ी की असली चौड़ाई 4.36 मीटर होगी, जब वह सीधा खड़ी होगी।

पाइथागोरस प्रमेय की उत्पत्ति

पाइथागोरस प्रमेय की उत्पत्ति पाइथागोरस नामक ग्रीक गणितज्ञ से हुई। वे एक विद्वान थे जो यूनानी दुनिया में 6 वीं शताब्दी ईसा पूर्व में जीवित थे। पाइथागोरस ने त्रिभुजों के गुणों और तालिकाओं के बारे में अध्ययन किया था। उन्होंने त्रिभुज के अंदर लंबी और छोटी भुजाओं के गुणों के बीच संबंधों का अध्ययन किया था और इस अध्ययन से पाइथागोरस प्रमेय का आविष्कार हुआ।

पाइथागोरस थ्योरम की शुरुवात

पाइथागोरस प्रमेय की शुरुआत कब हुई यह स्पष्ट नहीं है। हालांकि, पाइथागोरस ने अपने जीवनकाल में इस प्रमेय का अध्ययन किया था और उनके नाम से इस प्रमेय का उल्लेख किया जाता है। उनका जन्म करीब 570 ईसा पूर्व में हुआ था और उनकी मृत्यु 495 ईसा पूर्व में हुई थी। इसलिए, पाइथागोरस प्रमेय का आविष्कार 6 वीं शताब्दी ईसा पूर्व में हुआ था।

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