पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 1000 शब्दों वाला | कारण और निवारण

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 200, 500 या 1000 शब्दों मे लिखने के लिए यंहा दी गयी जानकारी को फॉलो करें। पर्यावरण प्रदूषण की प्रस्तावना, यह क्या है, इसकीं परिभाषा, कारण और निवारण साथ ही नियंत्रण के उपाय भी जाने।

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 1000 शब्दों वाला | कारण और निवारण

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध

प्रकृति द्वारा हमारे जीवन का संरक्षण हमें मिलता है। परन्तु, आधुनिकता के चलते मनुष्य अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्रकृति के साथ खिलवाड़ करने लगा। जिसका परिणाम आज हमारे आसपास प्रदूषण के रूप में दिखाई देता है। प्रदूषण एक ऐसी समस्या है जो हमारे पर्यावरण और स्वास्थ्य दोनों को हानि पहुँचाती है।

पर्यावरण प्रदूषण का मतलब होता है पर्यावरण के तत्वों में आने वाले जहरीले और विषाक्त पदार्थों के संचय और प्रचार से होने वाला नुकसान। यह नुकसान पर्यावरण, मानव स्वास्थ्य और सम्पदा को धीमे धीमे नष्ट कर देता है। अधिकतर पर्यावरण प्रदूषण का कारण हमारी असंतुलित और अधिक उपयोग की अभिव्यक्ति है।

जल प्रदूषण एक बहुत बड़ी समस्या है, जो विभिन्न प्रकार के जल स्रोतों में मौजूद जहरीले तत्वों के कारण होता है।

पर्यावरण प्रदूषण प्रस्तावना

पर्यावरण प्रदूषण एक गंभीर समस्या है जो समस्त मानव जाति के लिए खतरा है। विकास के साथ-साथ जल, जमीन और वायु प्रदूषण जैसी समस्याएं भी बढ़ रही हैं। इसके असर समस्त प्राकृतिक पदार्थों और जीव-जन्तुओं पर पड़ रहे हैं।

पर्यावरण प्रदूषण के कारण सामाजिक, आर्थिक और स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न होती हैं जो समाज के लिए बहुत खतरनाक होती हैं। इसलिए, इस समस्या को हल करने के लिए आवश्यक है कि हम सभी इस बारे में जागरूक हों और इस समस्या के निवारण के लिए कार्रवाई करें।

इस समस्या का समाधान केवल सरकारी अधिकारियों द्वारा ही नहीं किया जा सकता। इसमें हमारी सभी की भागीदारी शामिल होनी चाहिए। हमें स्वच्छ जल, वायु और स्थलों के लिए जिम्मेदारी उठानी चाहिए। हमें अपने घरों से ही शुरुआत करनी चाहिए। हमें नापसंद वस्तुओं का इस्तेमाल कम करना चाहिए। हमें वृक्षारोपण करना चाहिए जिससे जीवनीय पदार्थों के साथ-साथ स्वच्छ ऑक्सीजन हमे प्राप्त हो सके।

पर्यावरण प्रदूषण क्या है

पर्यावरण प्रदूषण एक व्यापक शब्द है जो वायु, जल, माटी, ध्वनि आदि तत्वों को नुकसान पहुंचाने वाले उन घटकों का समूह है, जो मानव द्वारा उत्पादित होते हैं। इससे मानव स्वास्थ्य, पारिस्थितिकी, जीवन जंतुओं और पौधों की विकास शक्ति पर बुरा प्रभाव पड़ता है। पर्यावरण प्रदूषण की वजह से अधिकतर समुद्री जीवन का संग्रह कम हो रहा है, वायुमंडल में होने वाली बाधाओं के कारण धरती के जीवन जंतु और पौधों को कई संकटों का सामना करना पड़ता है।

पर्यावरण प्रदूषण की परिभाषा

पर्यावरण प्रदूषण का मतलब होता है किसी भी प्रकार के वायु, जल और माटी आदि तत्वों में विद्यमान विषैली, उदासीन या अनुपयुक्त तत्वों के कारण पर्यावरण में उत्पन्न होने वाले नकारात्मक परिणामों का समूह। इसके अंतर्गत प्रदूषण के कारण जलवायु परिवर्तन, वनों की कटाई, जल और वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, जलमध्यस्थता, सूक्ष्म विषैली पदार्थों के विसर्जन आदि शामिल होते हैं। पर्यावरण प्रदूषण इंसानों के स्वास्थ्य, प्राकृतिक संसाधनों, जीव-जन्तुओं, वनस्पतियों और संसार के जीवन के लिए हानिकारी होता है।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार

पर्यावरण प्रदूषण कई प्रकार के होते हैं, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:

  • वायु प्रदूषण
  • जल प्रदूषण
  • ध्वनि प्रदूषण
  • भूमि प्रदूषण

वायु प्रदूषण

वायु प्रदूषण उस स्थिति को कहा जाता है जब हमारे वातावरण में विभिन्न धुएं, धूल और गैसें शामिल होती हैं जो श्वसन को अस्थमा, ब्रोंचाइटिस, हार्ट रोग और फेफड़ों के रोग का कारण बनती हैं।

जल प्रदूषण

जल प्रदूषण जल स्रोतों में विभिन्न विषाक्त पदार्थों या सफाई गैर कार्यक्रमों के कारण होता है। यह संक्रमण, कैंसर और अन्य रोगों के लिए संभव खतरा पैदा करता है।

ध्वनि प्रदूषण

ध्वनि प्रदूषण उस स्थिति को कहा जाता है जब अत्यधिक शोर उत्पन्न करने वाली जगहों में मनुष्यों को जीवन का संघर्ष करना पड़ता है।

भूमि प्रदूषण

भूमि प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण है कीमती मिट्टी के खो जाने के कारण। इसके अलावा, कृषि उपज उत्पादों और रसायनों के उपयोग के कारण भूमि प्रदूषण भी होता है।

पर्यावरण प्रदूषण के कारण

पर्यावरण प्रदूषण के कारण विभिन्न हो सकते हैं। इनमें से कुछ मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:

उद्योगो का तेजी से विकास

उद्योगों द्वारा उत्पादन के लिए उपयोग किए जाने वाले जहरीले पदार्थों और इस्तेमाल की गई उपकरणों के कारण प्रदूषण होता है। उद्योगों से निकलने वाले धुएं, धूल और विभिन्न पदार्थ भी पर्यावरण प्रदूषण का एक मुख्य कारण होते हैं।

वाहनों का प्रदूषण

वाहनों से निकलने वाले धुएं और विभिन्न ध्वनि भी पर्यावरण को प्रदूषित करने का कारण होते हैं। वाहनों के इंजनों से निकलने वाले वायु जल्दी से पर्यावरण के साथ मिल जाता है जिससे हवा प्रदूषण होता है।

कचरे का प्रदूषण

इलाकों में कचरे को नष्ट करने के लिए जहरीले तत्वों का इस्तेमाल किया जाता है। कचरे के अधिक संचय और नष्ट होने के कारण पर्यावरण के प्रदूषण में उच्च स्तर की वृद्धि होती है।

पर्यावरण प्रदूषण का निवारण

पर्यावरण प्रदूषण का निवारण करने के लिए हमें निम्नलिखित कुछ कदम उठाने होंगे:

ऊर्जा के स्रोतों के प्रबंधन

हमें संरक्षित ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करना चाहिए जैसे सौर ऊर्जा, बायोगैस, जलवायु उत्पादन और पर्यावरण से मिलकर उत्पन्न होने वाली ऊर्जा जैसे कि वायु, सूर्य और जल।

जहरीले उपयोग से बचें

जहरीले तत्वों जैसे कि विषाक्त पदार्थों का इस्तेमाल कम करें और प्रदूषण नियंत्रण उपकरणों का उपयोग करें।

वाहनों का उपयोग को कम करें

सार्वजनिक वाहनों को साफ और गतिशील बनाने के साथ-साथ, अधिक से अधिक वाहनों के उपयोग से बचने के लिए हमें जनसंख्या को नियंत्रित करना चाहिए।

जल संरक्षण

हमें जल संरचनाएं बनानी चाहिए जैसे कि तालाब, झील, नदियाँ और स्थली पर जल संचय और संरक्षण के लिए।

वन संरक्षण

हमें वन संरक्षण करना चाहिए जो ऑक्सीजन के स्रोत के साथ-साथ पृथ्वी के तापमान को भी नियंत्रित करते हैं।

WHO की रिपोर्ट

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट के अनुसार, पर्यावरण प्रदूषण से संबंधित विभिन्न समस्याएं हैं जो लोगों के स्वास्थ्य पर असर डालती हैं। विभिन्न प्रकार के पर्यावरणीय प्रदूषण जैसे वायु, जल और माटी प्रदूषण के साथ-साथ ध्वनि, रेडिएशन और उच्च तापमान के प्रदूषण का भी असर होता हैं।

इन सभी प्रकार के प्रदूषण से विभिन्न तरह के स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, जैसे श्वसन की समस्याएं, एलर्जी, अवसाद, मानसिक तनाव और फिर भी कुछ समस्याएं गंभीर तक हो सकती हैं जैसे कैंसर, हृदय रोग और अस्थमा जैसी बीमारियां।

WHO ने दुनिया भर में लोगों को इससे बचाने के लिए कई सार्वजनिक स्वास्थ्य उपाय शुरू किए हैं, जो लोगों को अधिक स्वस्थ जीवन जीने में मदद कर सकते हैं। इनमें से कुछ उपाय निम्नलिखित हैं:

  • अपने घरों के आसपास की साफ-सफाई को बढ़ावा दें।
  • वाहनों का उपयोग कम से कम करें

भारत मे पर्यावरण प्रदूषण

भारत एक विशाल देश है जिसमें अनेक प्रकार के प्रदूषण के मामले होते हैं। कुछ भारत में पाये जाने वाले पर्यावरण प्रदूषण के प्रमुख मामले नीचे बताये गए है।

भारत में वायु प्रदूषण एक बड़ी समस्या है जो संचार वाहनों, उद्योगों, दूषित ऊर्जा उत्पादन और बचाव की कमजोर नीतियों से होता है। भारत के कई शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (Air Quality Index) खराब है जो स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है।

जल प्रदूषण भी भारत में एक बड़ी समस्या है। इसमें उद्योगों, नदीयों में छोड़े अपशिष्ट और विभिन्न वितरण और विनिर्माण कार्यों से प्रदुषण होता है। भारत के कई शहरों में पीने के पानी में अपशिष्टों के मौजूद होने के कारण स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं।

पर्यावरण प्रदूषण अधिनियम 1986

पर्यावरण प्रदूषण अधिनियम 1986 भारत सरकार द्वारा पारित की गई एक कानून है जो पर्यावरण प्रदूषण और इसके नियंत्रण को ध्यान में रखते हुए बनाया गया था। इस अधिनियम के अंतर्गत, भारत सरकार ने विभिन्न प्रदूषण के कारणों और इससे बचाव के उपायों को नियंत्रित करने के लिए कई उपयुक्त विधियों और नियमों का निर्माण किया है।

इस अधिनियम के तहत, भारत सरकार ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की स्थापना की जो देश भर में विभिन्न प्रदूषण नियंत्रण उपकरणों के लिए जिम्मेदार होता है। इसके अलावा, अधिनियम में विभिन्न प्रदूषण के प्रकार जैसे वायु, जल, ध्वनि और पृथ्वी प्रदूषण जैसे विषयों पर विस्तृत जानकारी उपलब्ध होती है।

इस अधिनियम के तहत, पर्यावरण संरक्षण अधिनियम (Environmental Protection Act) और बैटरी प्रबंधन और नियम (Battery Management and Handling) जैसे अन्य उपयुक्त अधिनियमों और नियमों की भी स्थापना की गई है।

पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण के उपाय

पर्यावरण प्रदूषण को कम करने और नियंत्रित करने के लिए निम्नलिखित उपाय हो सकते हैं:

  • जल संरक्षण: साफ पानी के संरक्षण के लिए जल संरक्षण अभियान चलाना चाहिए। इसके लिए वर्षा जल को संचित करने, जल संयंत्रों का निर्माण करने और बचाने के लिए नीतियों के लिए जोर देना चाहिए।
  • वायु प्रदूषण को कम करना: अपने वाहन का उपयोग कम करें और पब्लिक ट्रांसपोर्ट जैसे बस, मेट्रो आदि का उपयोग करें। प्रदूषण नियंत्रण उपकरणों का उपयोग करें जैसे एयर प्यूरीफायर, वायु शोधक इत्यादि।
  • जलवायु परिवर्तन: जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभाव से निपटने के लिए हमें अधिक उर्जा बचत के उपायों का उपयोग करना चाहिए। उर्जा संरक्षण विधियों का अनुसरण करें और अपने घरों में स्थान और प्राकृतिक ऊर्जा का उपयोग करें।
  • कचरे का उपयोग: अपने कचरे को सही तरीके से फेंकें। इसके लिए साफ सफाई के बिन्दु तय करें। कचरे को उनकी समयानुसार सही जगह पर प्रबन्धित करें।

पर्यावरण प्रदूषण और प्राकृतिक आपदाऐं

पर्यावरण प्रदूषण और प्राकृतिक आपदाओं के बीच संबंध मजबूत होते जा रहे हैं। प्राकृतिक आपदाएं जैसे जलवायु परिवर्तन, भूकंप, बाढ़ आदि पर्यावरण को प्रदूषित करने के कारण बढ़ती हैं और उम्मीद है कि इससे निपटने के लिए समान्य जनता द्वारा अधिक उत्साह उत्पन्न होगा।

जलवायु परिवर्तन जैसे प्राकृतिक आपदाओं का परिणाम है, जो धरती की जीवन आधार और जीवन प्रकृति पर असर डालते हैं। उदाहरण के लिए, वर्षा के कम होने से जल संकट बढ़ता है, जो लोगों के वस्तुओं और फसलों को नुकसान पहुँचाता है और यह अंततः अन्नदाताओं तक पहुंचता है। प्राकृतिक आपदाओं के बढ़ते संख्यात्मक तंबों के बीच पर्यावरण प्रदूषण के भी कई स्रोत होते हैं, जैसे वायु और जल प्रदूषण।

औद्योगिक प्रदूषण तथा पर्यावरण निम्नीकरण

औद्योगिक प्रदूषण और पर्यावरण निम्नीकरण दोनों ही एक दूसरे से संबंधित मुद्दे हैं। औद्योगिक कारखानों, उद्योगों, विनिर्माण इकाइयों, टेक्सटाइल इकाइयों, उद्योग जगत के अन्य सेक्टरों और जल, वायु, मिट्टी आदि विभिन्न प्रकार के प्रदूषकों के निर्माण के कारण पर्यावरण निम्नीकरण होता है।

औद्योगिक प्रदूषण वायु, जल और मिट्टी के विभिन्न प्रदूषकों जैसे कि कार्बन मोनोक्साइड, सल्फर डाईऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, प्रतिष्ठा, रेडिएशन, विभिन्न तत्वों के निकास, तेल एवं पेट्रोलियम उत्पादों के बढ़ते उपयोग आदि से होता है।

इन प्रदूषकों का प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जैसी अधिकारी संस्थाओं के नियंत्रण में होना चाहिए जो नियमित रूप से उनका नियंत्रण और निरीक्षण करते हैं।

निष्कर्ष

यंहा पर हमने पयार्वरण प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 1000 शब्दो में लिखने के लिए जानकारी प्राप्त की, इसी विषय पर 500 या 200 शब्दो का निबंध भी इस लेख को पढ़कर बड़ी आसानी से लिखा जा सकता है। पर्यावरण प्रदूषण क्या है, इसकी परिभाषा, कारण और निवारण इसके विषय मे भी हमने यंहा पर जाना। यदि यह लेख आपको पसंद है तो इसे सोशल मीडिया पर अपने क्लास के दोस्तो के साथ शेयर करे।

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