लोकगीत किसे कहते है इसकीं परिभाषा, प्रकार, महत्त्व और विशेषताएं

लोकगीत एक ऐसी संगीत कला है जो जनता के अंदर से उत्पन्न होती है। इसे लोक संगीत भी कहा जाता है। यह संगीत वहाँ के लोगों की जीवनशैली, संस्कृति, और परंपराओं से प्रभावित होती है। यह संगीत उन लोगों तक पहुँचता है जो आधुनिक संगीत से दूर होते हैं और जो अपनी संस्कृति को जीवित रखना चाहते हैं। लोकगीत की शैलियों में भजन, फाग, आल्हा, गढ़वाली, ठुमरी, कव्वाली, कीर्तन आदि शामिल हैं।

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लोकगीत

लोकगीत भारत की विविध संस्कृतियों और परंपराओं का प्रतिनिधित्व करती है। भारत में लोकगीत का विस्तार समृद्ध है और यह भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न रूपों में मौजूद होता है।

उत्तर भारत में, हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में लोकगीत दो रूपों में होते हैं – भजन और गीत। भजन धार्मिक रूप से गाए जाते हैं, जबकि गीत लोगों के जीवन और सामाजिक संस्कृति से संबंधित होते हैं। भजन और गीतों में ढोलक, मंजीरा और ताल संगीत का इस्तेमाल किया जाता है।

लोकगीत की परिभाषा

लोकगीत एक जनसामान्य कला है जो एक सामान्य व्यक्ति या समुदाय द्वारा रचित और गाया जाता है। यह गीत समाज के गरीब लोगों द्वारा बनाए जाते हैं और इन गीतों में लोगों के जीवन और सामाजिक संस्कृति से संबंधित किस्से और भावनाएं व्यक्त की जाती हैं।

लोकगीतों में बोलों का उपयोग आमतौर पर स्थानीय भाषाओं में किया जाता है और ये गीत ध्वनि और ताल के साथ संगीत का अभिनय करते हैं। इन गीतों के वाद्य यंत्र अक्सर स्थानीय बाजारों में बिकने वाले सामानों जैसे ढोलक, मण्डली, ताल, बाँसुरी, तुरी आदि होते हैं।

लोकगीतों का मुख्य उद्देश्य लोगों को मनोरंजन करने और उन्हें उनके जीवन के बारे में समझाने के लिए होता है। इन गीतों में अक्सर समाज के मुद्दों, स्थानों, व्यक्तियों और परंपराओं का वर्णन किया जाता है। इन गीतों में अक्सर संवाद का प्रयोग किया जाता है जो एक अद्भुत कहानी बताता है।

लोक गीत के प्रकार

लोकगीत कई प्रकार के होते हैं। यह विभिन्न क्षेत्रों, जातियों, भाषाओं और संस्कृतियों से संबंधित होते हैं। भारत में लोकगीतों का विस्तृत संग्रह होता है जिसमें अनेक विभिन्न प्रकार के गीत होते हैं।

कुछ मुख्य लोकगीत प्रकार निम्नलिखित हैं:

  • भक्ति गीत
  • देवी गीत
  • विवाह गीत
  • बिरहा गीत
  • अख्त्यारी गीत

भक्ति गीत

भक्ति गीत एक विशेष प्रकार का संगीत है जो भगवान की पूजा और उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए गाया जाता है। इस संगीत का मुख्य उद्देश्य भक्ति और ध्यान को प्रगाढ़ करना होता है। भक्ति गीत के बोल और संगीत द्वारा, भक्त अपने भगवान की स्तुति करते हैं और उन्हें अर्पण करते हैं।

भक्ति गीत कई भाषाओं में उपलब्ध होते हैं जैसे हिंदी, संस्कृत, बंगाली, गुजराती, मराठी, पंजाबी आदि। भक्ति गीतों में अक्सर शब्दों और भजनों के माध्यम से भगवान की स्तुति की जाती है। ये गीत भक्ति और आध्यात्मिकता की भावना को जगाते हैं और श्रद्धालुओं को उनकी अंतरंग प्रतिक्रियाएं बयां करने का मौका देते हैं।

भक्ति गीतों की परंपरा भारतीय संस्कृति में बहुत प्राचीन है। भक्ति गीतों के बोल और संगीत में अक्सर भजन, कीर्तन, आरती, भजन, धुन, मंत्र आदि के मिश्रण से सम्पन्न होते हैं।

देवी गीत

देवी गीत भारतीय संस्कृति में एक विशेष प्रकार का लोकगीत है, जो मुख्य रूप से उत्तर भारत के हिमालयी क्षेत्र में पाया जाता है। इन गीतों में महिलाओं के शक्ति और सम्मान को व्यक्त करने का प्रयास किया जाता है। इन गीतों में देवी माँ, जैसे की दुर्गा, काली और चमुण्डा जैसी देवी रूपों की महिमा गाई जाती है।

इन गीतों को लोक कला का एक अहम हिस्सा माना जाता है, क्योंकि इन गीतों में नारी की महत्ता और उसकी शक्ति को व्यक्त किया जाता है। इन गीतों के लोकप्रिय संगीत और जबरदस्त ताल पर नृत्य करने से महिलाएं अपनी भावनाओं को बयां करती हैं। इन गीतों में अक्सर धुन, ताल, बोल, रचना, भावना, आलाप आदि के मिश्रण से सम्पन्न होते हैं और इन गीतों के संगीत उपकरणों में ढोल, नगाड़ा, ढोलक, ताल आदि शामिल होते हैं।

विवाह गीत

लोक विवाह गीत भारतीय लोक संगीत का एक विशेष रूप है जो विवाह समारोह में गाया जाता है। यह गीत भारत के विभिन्न क्षेत्रों में विवाह समारोह के अवसर पर गाया जाता है। इन गानों में विवाह के रस्म और रीति-रिवाजों का वर्णन होता है।

लोक विवाह गीत भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण अंग है। इन गीतों का वर्णन शादी के सम्बंधित संस्कारों, विवाह सम्बन्धित रस्मों और विवाहिता के भावों को व्यक्त करता है। इन गानों में स्त्री वर और उनके परिजनों द्वारा भव्य रूप से व्यवस्थित समारोह का वर्णन होता है।

लोक विवाह गीत की धुन अक्सर जश्नीली होती है और उत्साह भरी होती है। इसके गीतों में लोग शादी के त्योहार में नाचते हैं और विवाह से संबंधित विभिन्न गतिविधियों को मनाते हैं। इसके अलावा, इन गानों में लोग विवाह सम्बन्धित संस्कार और रस्मों को याद करते हुए अपने परिवार के साथ उत्सव मनाते हैं।

बिरहा गीत

बिरहा गीत उत्तर भारतीय संस्कृति का एक प्रसिद्ध लोक संगीत है जो उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और मध्य प्रदेश में लोकप्रिय है। यह संगीत प्रायः किसी समस्या, उद्देश्य या व्यक्ति के विवेक-विचार को व्यक्त करने वाले बोलों और संगीत से मिलता है।

बिरहा गीत आमतौर पर दु:खी होने वाले लोगों की भावनाओं को व्यक्त करने के लिए गाया जाता है। इस गीत में दुख, अलगाव, विरह, प्रेम, जीवन के व्यथाओं और मानसिक तनाव का वर्णन होता है। इसके अलावा बिरहा गीत में बहुत सारे इतिहास और धर्म से संबंधित घटनाओं का भी वर्णन होता है।

बिरहा गीत के संगीत में अक्सर ताल-दहली और उच्च स्वरों का उपयोग किया जाता है। इसमें गायक वाक्यों को लम्बा करते हुए एक विशिष्ट स्वर-सीमा तक पहुंचते हैं और उन्हें कई बार दोहराया जाता है।

अख्त्यारी गीत

अख्त्यारी गीत एक प्रकार का लोकगीत है जो भारत के उत्तरी और मध्य प्रदेश राज्यों में प्रचलित है। इन गीतों में उर्दू कविता और शायरी के शब्दों का प्रयोग किया जाता है जो स्थानीय भाषाओं में उनका हिंदी में अनुवाद कर दिया जाता है।

ये गीत एक माहौल बनाने के लिए गाए जाते हैं, जो सामाजिक, पारिवारिक या आंतरिक भावों को व्यक्त करते हैं। इन गीतों में महसूसी भावनाओं, उत्तेजनाओं, उल्लास, दुख, प्रेम और इश्क जैसे भावों को व्यक्त करने का प्रयास किया जाता है।

इन गीतों में एक मुख्य विशेषता है कि इनमें शायरी और उर्दू कविता का प्रभाव बहुत होता है। इन गीतों को अक्सर गिटार, ढोल और मण्डोला जैसे संगीत उपकरणों के साथ गाया जाता है।

लोकगीत का महत्त्व

लोकगीत भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। ये गीत देश के विभिन्न क्षेत्रों में गाए जाते हैं और संस्कृति, भाषा, जाति और धर्म के विभिन्न पहलुओं को दर्शाते हुए लोगों को एक साथ जोड़ते हैं।

लोकगीतों का महत्व इसलिए भी है क्योंकि ये गीत लोगों के जीवन में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये गीत न केवल त्योहार और उत्सवों में गाए जाते हैं, बल्कि वे दुःख, सुख, प्रेम और भावनाओं को भी व्यक्त करते हैं।

लोकगीतों में अपने रीति-रिवाज, जीवनशैली और भाषा को व्यक्त करने का एक विशेष अंग हैं। ये गीत लोगों के जीवन में मानसिक संतुलन को बनाए रखने में मदद करते हैं और लोगों को एक साथ लगातार रहने में भी मदद करते हैं।

लोकगीत न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में भी लोकप्रिय हैं। इन गानों का संगीत और बोल लोगों को आकर्षित करते हैं और इनके माध्यम से अपनी भाषा, संस्कृति और जीवनशैली दुनिया को पता चलती है।

लोक गीतों की विशेषताएं

लोकगीतों की कुछ मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं:

  • जन-जन के बीच लोकगीतों का विस्तार होता है। ये गीत जनमानस में समाज, संस्कृति, रीति-रिवाज और इतिहास को उजागर करते हैं।
  • लोकगीतों का वाद्य और गायन आसान होता है। इसलिए, ये संगीत के प्रति लोगों का रूझान ज्यादा होता है।
  • लोकगीतों के शब्द सरल और सामान्य भाषा में होते हैं जो आम जनता के समझ में आते हैं।
  • लोकगीतों में रचनात्मकता की भावना होती है। जो शब्दों, संगीत और ताल की अद्भुत समन्वय से निर्मित होती है।
  • लोकगीतों में भावनाओं की गहराई होती है और ये जीवन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाते हैं। जैसे प्यार, विरह, खुशी, दुःख आदि।
  • लोकगीतों के माध्यम से भाषा और संस्कृति के प्रति लोगों का अधिक उत्साह होता है और ये स्थानों और समुदायों के बीच सामंजस्य बढ़ाते हैं।
  • लोकगीत अपनी स्थानीय भाषा और संस्कृति की उत्पत्ति को उजागर करते है।

FAQ

लोकगीत क्या है?

लोकगीत एक जनसामान्य कला है जो लोगों द्वारा रचित और गाया जाता है। इसमें समाज के गरीब लोगों द्वारा रचित गीत होते हैं जिनमें वे अपने जीवन, सामाजिक संस्कृति, परंपराएं, स्थान और मुद्दों से संबंधित किस्से और भावनाएं व्यक्त करते हैं। इन गीतों के बोल आमतौर पर स्थानीय भाषाओं में होते हैं और ये ध्वनि और ताल के साथ संगीत का अभिनय करते हैं। इन गीतों में अक्सर स्थानीय बाजारों में बिकने वाले संगीत यंत्र जैसे ढोलक, मण्डली, ताल, बाँसुरी, तुरी आदि का प्रयोग होता है। लोकगीत का मुख्य उद्देश्य लोगों को मनोरंजन करने और उन्हें उनके जीवन के बारे में समझाने के लिए होता है। इन गीतों में समाज के मुद्दों, स्थानों, व्यक्तियों और परंपराओं का वर्णन किया जाता है जो लोगों को अपने सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्यों से जोड़ते हैं।

लोकगीत से आप क्या समझते है?

मेरी दृष्टि से लोकगीत एक ऐसी जनसामान्य कला है जो लोगों के जीवन और संस्कृति के मूल्यों को दर्शाती है। इसके गीत लोगों के जीवन में आने वाले सामाजिक और व्यक्तिगत मुद्दों को उजागर करते हैं। ये गीत भावनात्मक होते हैं जो अपनी स्थानीय भाषा में लिखे जाते हैं और उनमें संगीत और ताल का उपयोग किया जाता है। लोकगीत की उत्पत्ति उस समय से होती है जब लोगों के पास कोई विशेष संगीत यंत्र नहीं थे और वे अपनी आवाज के साथ एक छोटी सी बाँसुरी या ढोलक के साथ गीत गाते थे। आज भी लोकगीत हमारे समाज का अहम हिस्सा है जो हमें हमारे रूढ़िवादी और संस्कृतिक विरासत को संजोने और समझाने में मदद करता है।

लोकगीत कंहा और कब गाये जाते है?

लोकगीत भारत के विभिन्न क्षेत्रों में गाये जाते हैं। ये गाने विभिन्न सांस्कृतिक अवसरों और उत्सवों में गाए जाते हैं जैसे कि विवाह, होली, दीपावली, त्योहार, किसान मेला, मेला आदि। इन गीतों का जोर अक्सर स्थानीय भाषा, संस्कृति और लोक अभ्यासों पर होता है।

लोकगीत भारत की समृद्ध संस्कृति का अहम अंग हैं और इन्हें देश के विभिन्न क्षेत्रों में विविधता से गाया जाता है। जैसे कि, बिहार में मैथिली, राजस्थान में घुमर, पंजाब में गिद्दा और भंगड़ा, मध्य प्रदेश में निमाड़ी आदि।

लोकगीत का विकास भारत की इतिहास में बहुत पुराना है। ये गाने पूर्वजों द्वारा संगीत और गायन के द्वारा संचालित किए जाते थे और धीरे-धीरे उन्हें संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाया गया। आज भी लोकगीत भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है और विभिन्न क्षेत्रों में इसे गाया जाता है।

साहित्यिक गीत और लोकगीत में क्या अंतर है?

साहित्यिक गीत और लोकगीत दोनों ही गीत के विभिन्न प्रकार हैं, लेकिन उनमें कुछ अंतर होते हैं।

साहित्यिक गीत का मुख्य उद्देश्य शब्दों की कल्पना और साहित्यिक अभिव्यक्ति होता है। साहित्यिक गीत ज्ञान, विवेक, भावना, विचारों, और समस्याओं के बारे में व्यक्त करते हैं। ये गीत अक्सर संगीत रूप में नाटक, कविता, उपन्यास और अन्य साहित्यिक शैलियों से लिए जाते हैं। इन गीतों में संगीत का उपयोग साहित्यिक विषयों को समझाने और अभिव्यक्त करने के लिए होता है।

दूसरी ओर, लोकगीत का मुख्य उद्देश्य जनता के जीवन की बातें बताना होता है। ये गीत जनता के जीवन के सभी पहलुओं जैसे कि किसानों के काम, शहरी जीवन, शादी-ब्याह, धर्म, राष्ट्रीय उत्सव आदि से जुड़े होते हैं। इन गीतों में संगीत लोक संस्कृति और जीवनशैली के विभिन्न आयामों को उजागर करने के लिए होता है।

सबसे पुराना अंग्रेजी लोकगीत कौन सा है?

अंग्रेजी लोकगीतों का इतिहास काफी पुराना है और उनमें कई प्रकार के गीत हैं, जिनमें से कुछ अत्यंत प्राचीन हैं।
सबसे पुराना अंग्रेजी लोकगीत “Sumer Is Icumen In” (समर इज इकुमन इन) माना जाता है। यह गीत 13वीं शताब्दी में लिखा गया था और इसमें एक ग्रुप के लोगों ने एक संगीतीय इंस्ट्रुमेंट के साथ लोकगीत गाया था।
इसके अलावा, 16वीं और 17वीं शताब्दी में लोकगीत का एक बड़ा संग्रह जुटा था, जिसमें “Greensleeves” और “Scarborough Fair” जैसे प्रसिद्ध गीत थे।

सबसे प्रसिद्ध भारतीय लोकगीत कौन सा है?

भारत में कई प्रसिद्ध लोकगीत हैं, जो अलग-अलग क्षेत्रों और राज्यों में उनकी स्थानीय संस्कृति और भाषाओं के आधार पर प्रचलित हैं। यह गीत विभिन्न वर्गों के लोगों के बीच विभिन्न उत्सवों और त्योहारों पर गाए जाते हैं।

हालांकि, भारतीय लोक संगीत की एक ऐसी रचना है, जो संसार भर में प्रसिद्ध है और वह है “वैष्णव जन तो तेने कहिये”। इस गीत को महात्मा गांधी द्वारा उनकी पसंद के कारण भी जाना जाता है। यह गीत मूल रूप से गुजराती लोक संगीत है, जो सभी भारतीय भाषाओं में अनुवादित किया गया है। इस गीत में एक वैष्णव जन के आचरणों का वर्णन किया गया है, जो एक अच्छे इंसान की उन्नति के लिए दिशा देता है।

भारत का सबसे प्रसिद्ध क्षेत्रीय लोक संगीत कौन सा है?

भारत में कई प्रकार के क्षेत्रीय लोक संगीत हैं जो अपनी-अपनी विशेषताओं से प्रसिद्ध हैं। हालांकि, राजस्थान के लोक संगीत को भारत का सबसे प्रसिद्ध क्षेत्रीय लोक संगीत माना जाता है। राजस्थान के लोक संगीत में ढोल, नगाड़ा, सरंगी, डफली, मोरचंग, खजज, बाँसुरी जैसे वाद्य और गायन एक साथ मिलाकर एक विशिष्ट ढंग से गाया जाता है। राजस्थान के लोक संगीत में घुमर, कलबेलिया, भतियाणी जैसे विभिन्न गीत होते हैं।

निष्कर्ष

इन लेख में हमने लोकगीत किसे कहते है इसकी परिभाषा क्या है इसकीं जानकारी प्राप्त की। साथ ही हमने लोकगीत के प्रकार, महत्त्व और विशेषताएं क्या है इसके बारे में भी जाना। ऐसे ही ज्ञान वर्धक लेख पढ़ने के लिए हमारे साथ जुड़े रहिये हम आपके ज्ञान को बढ़ाते रहेंगे।

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