International Mother Language Day 2023: मातृ भाषा दिवस का इतिहास और महत्त्व

अंतरराष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस वर्ष 2000 से मनाया जाता है और हर साल 21 फरवरी को मनाया जाता है। इस दिन के उद्देश्य से, विश्व स्तर पर भाषाओं को संरक्षित रखने के लिए जागरूकता बढ़ाने का प्रयास किया जाता है।

यह दिन विभिन्न भाषाओं, उनकी महत्ता और संरक्षण के लिए जागरूकता फैलाने का एक महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन को लोग विभिन्न समारोहों, भाषा संवादों, संगोष्ठियों, कार्यशालाओं और विभिन्न भाषाओं से संबंधित अन्य गतिविधियों के माध्यम से मनाते हैं।

विश्व मातृभाषा दिवस

अंतरराष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस भाषाओं की जागरूकता बढ़ाने के लिए एक अवसर होता है जब सभी भाषाएं एकजुट होकर एक दूसरे से सीख सकती हैं और अपने संस्कृति और भाषा के महत्व को समझ सकती हैं। इस दिन को मनाकर, हम अपनी मातृ भाषा को समझते हुए अपनी भाषा के प्रति अधिक सम्मान और जागरूकता विकसित कर सकते हैं।

अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का इतिहास

अंतरराष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस का आयोजन प्रथम बार 1952 में बांग्लादेश के एक विद्यालय में हुआ था। तब से हर साल 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस के रूप में मनाया जाता है।

21 फरवरी 1952 को बांग्लादेश के शिक्षाविदों ने उनकी मातृभाषा बंग्ला के संरक्षण के लिए सड़क पर उतरकर आंदोलन किया था। इस आंदोलन में कुछ विद्यार्थी गोलियों से घायल हुए थे। बाद में 17 नवंबर 1999 को संयुक्त राष्ट्र संघ ने इस दिन को अंतर्राष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस के रूप में स्वीकार किया था।

आज यह दिवस विश्व भर में धूमधाम से मनाया जाता है और इस दिन को मातृभाषा के महत्व और संरक्षण को समझाने के लिए अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। यह दिन भाषा विभाजन के खतरों के खिलाफ लड़ने के लिए अधिक जागरूकता और समझ उत्पन्न करने का एक महत्वपूर्ण दिन है।

मातृ भाषा का महत्त्व

भारत में मातृभाषा का महत्व अत्यंत महत्वपूर्ण है। भारत एक विशाल देश है जिसमें अनेक भाषाएँ बोली जाती हैं। विभिन्न भाषाएं और उनके संरक्षण भारतीय संस्कृति, भूमिका और इतिहास का अभिन्न अंग हैं।

मातृभाषा के महत्व के कुछ कारण हैं:

  • भाषा का एक संगठित रूप होने से संवाद सुविधाएं और सामंजस्य बना रहता है।
  • भाषा से संबंधित संस्कृति और ऐतिहासिक महत्त्व को समझने में मदद मिलती है।
  • अच्छी मातृभाषा ज्ञान के स्रोत के रूप में काम आती है।
  • मातृभाषा से संबंधित साहित्य, वाद्य-विनोद, नाटक, गीत, आदि को समझने में सहायता मिलती है।
  • मातृभाषा के बिना विद्यार्थी अपनी शिक्षा को पूरी तरह से समझ नहीं पाते हैं।

इसलिए, मातृभाषा का संरक्षण और उनका समर्थन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

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